International Conference on teaching of Hindi in multilingual and multicultural contexts (ICHLisbon24)

Nov. 28, 2024 - Nov. 29, 2024

To commemorate the 15 years of the teaching of Hindi as a foreign language at the Faculdade de Letras, Universidade de Lisboa in Portugal, the Center for Indian Studies-FLUL and Center for Linguistics of the University of Lisbon in collaboration with the Faculdade de Letras, Universidade de Lisboa (FLUL) and the Embassy of India in Lisboa is organizing an International Conference on the teaching of Hindi as a Foreign / Heritage language in multilingual and multicultural contexts all over the world.

In the vast mosaic of the world’s linguistic diversity, Hindi captivates millions with its charm and cultural richness. It is one of the most widely spoken languages in the world and the official language of the Republic of India alongside English as a co-official, spreading across a vibrant network of dialects, regions, and communities. With a rich history dating back centuries, Hindi is not just a means of communication, but a window into India’s rich cultural heritage.

With regards to the teaching of a foreign language, the cultural aspect related to that language and its corresponding society become indispensable elements for learners. Hindi as a Foreign Language becomes pertinent to delve into the Methodology and manual adopted for teaching both the linguistic and the sociocultural components of the language. As prescribed by the Common European Framework of Reference for Languages, the learner is a social agent who should be able to conduct social transactions through his knowledge of the correct use of the foreign language in the appropriate context. Unfortunately, Hindi doesn’t come with guidelines like that of the CEFR which is meant for the European Languages. This implies that teachers of the Hindi language have to evolve their mechanisms to teach the language as per the target group and evolve curriculums that include in a graded manner the relevant linguistic and socio-cultural components.

Currently, the teaching of Hindi in European countries happens to adults, as it is not offered at the school level in most European countries. The primary focus is on functional topics that will be prioritized so that the student can function in the work and social world that surrounds them without forgetting personal, social, and exchange aspects that are necessary for communities to understand and benefit mutually. But there is more to Hindi than these functional levels. Not only do the target learners have a linguistic repertoire that is distinct from Hindi rather more prominently the cultural difference becomes a point of concern that should be researched and taken into consideration by the researchers.

The conference intends to bring the experts and researchers who are working with Hindi as a foreign language or as a heritage language in different parts of the world to discuss the challenges that they are facing in the context of teaching Hindi. Teaching in a multilingual context involves celebrating diversity, using improvised multilingual resources, scaffolding, engaging with the community, and inclusivity. We would also like to explore the intricacies involved in the linguistic and socio-cultural challenges that arise in this process and how the practitioners address such difficulties. The conference shall serve as a platform for creating academic interaction and connection, generating awareness of the best practices and resources available for the teaching of Hindi as a foreign or heritage language in multilingual and multicultural spaces in the current times. In this regard the conference may be presented on any, but not limited to, of the following themes:
– Heritage language acquisition
– Foreign language acquisition
– Hindi grammar applied to language teaching
– Teaching methodologies
– Comparative linguistic studies
– Translation studies
– Language policies
– Web-based resources (apps, dictionaries, corpora,…)
– Digital tools and technology
– Hindi in the virtual space — effective practices for hybrid and online teaching.
– Bilingualism and diglossia
– Teaching of language and culture
– Literature in the Hindi language classroom
– Use of Hindi ICT materials and their effective implementation in the language classroom.

The dates of the conference are the 28th and 29th of November 2024 and shall be regular mode to be held at the Faculdade de Letras, Universidade de Lisboa (FLUL). More information on https://www.letras.ulisboa.pt/pt/

The participants are requested to send in an abstract of a maximum of 500 words by 30-09-2024, 23H

दुनिया की भाषाई विविधता के विशाल परिदृश्य में, हिंदी अपने आकर्षण और सांस्कृतिक समृद्धि से लाखों लोगों को आकर्षित करती है। यह दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और अंग्रेजी के साथ सह-आधिकारिक भाषा के रूप में भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा है, जो बोलियों, क्षेत्रों और समुदायों के जीवंत नेटवर्क में फैली हुई है। हिंदी अपने सदियों पुराने समृद्ध इतिहास के साथ, न केवल संचार का एक साधन है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जानने एवं समझने का माध्यम भी है।
किसी विदेशी भाषा को पढ़ाने के मामले में, सीखने वालों के लिए उस भाषा से जुड़े सांस्कृतिक पहलू और उससे जुड़ा समाज अपरिहार्य तत्व बन जाता है। अतः विदेशी भाषा के रूप में हिंदी के भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक दोनों घटकों को पढ़ाने के लिए अपनाई गई पद्धति और नियमावली का गहन अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। जैसा कि भाषाओं के लिए “सामान्य यूरोपीय संदर्भ रूपरेखा (CEFR)” द्वारा निर्धारित किया गया है कि सीखने वाला एक सामाजिक एजेंट है, जिसे उचित संदर्भ में विदेशी भाषा के सही उपयोग के अपने ज्ञान के माध्यम से सामाजिक संपर्क करने में सक्षम होना चाहिए। हालाँकि, विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण के लिए यूरोपीय भाषाओं के लिए CEFR जैसे दिशा-निर्देश उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हिंदी भाषा के शिक्षकों को लक्ष्य-समूह के अनुसार भाषा शिक्षण के लिए अपना स्वयं का तंत्र विकसित करना होगा और ऐसा पाठ्यक्रम विकसित करना होगा, जिसमें प्रासंगिक भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक घटकों को क्रमबद्ध तरीके से शामिल किया जाए।
वर्तमान में यूरोपीय देशों में हिंदी का शिक्षण वयस्कों के साथ होता है, चूँकि यह शिक्षण अधिकांश यूरोपीय देशों में विद्यालय स्तर पर नहीं दिया जाता है। हिंदी के इस शिक्षण का प्राथमिक ध्येय प्रयोजनमूलक विषयों पर है, जिन्हें प्राथमिकता दी जाती है, ताकि छात्र व्यक्तिगत, सामाजिक और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भूले बिना हिंदी का प्रयोग हर संदर्भ में मातृभाषी की तरह पूरी सक्षमता से कर सके। हिंदी में इन प्रयोजनमूलक स्तरों के अलावा भी बहुत कुछ है। लक्षित शिक्षार्थियों के पास हिंदी से अलग न केवल एक भाषाई भंडार है, बल्कि मुख्यतः सांस्कृतिक अंतर चिंता का विषय बन जाता है जिस पर शोधकर्ताओं द्वारा शोध किया जाना चाहिए और ध्यान में रखा जाना चाहिए।
इस सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया के विभिन्न भागों में कार्यरत विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाना है, जो विदेशी भाषा या विरासत भाषा के रूप में हिंदी के शिक्षण का काम कर रहे, ताकि वे हिंदी शिक्षण के संदर्भ में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कर सकें। जिसमें बहुभाषी संदर्भ में शिक्षण में विविधता का जश्न मनाना, तात्कालिक बहुभाषी संसाधनों का उपयोग करना, समुदाय के साथ जुड़ना और समावेशिता शामिल है। हम इस प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों में शामिल जटिलताओं का भी पता लगाना चाहेंगे और यह भी पता लगाना चाहेंगे कि अभ्यासकर्ता ऐसी कठिनाइयों का समाधान कैसे करते हैं। यह सम्मेलन अकादमिक विचार-विमर्श और संपर्क बनाने, वर्तमान समय में बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक स्थानों में विदेशी या विरासत भाषा के रूप में हिंदी के शिक्षण के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम प्रथाओं और संसाधनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। इस संबंध में सम्मेलन निम्नलिखित विषयों में से किसी पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है:
- हिंदी शिक्षण (विरासत भाषा के रूप में);
- हिंदी शिक्षण (विदेशी भाषा के रूप में);
- भाषा शिक्षण में प्रयुक्त हिंदी व्याकरण;
- हिंदी-शिक्षण पद्धतियाँ;
- तुलनात्मक भाषा-विज्ञान अध्ययन;
- अनुवाद का शिक्षण में प्रभाव;
- भाषा-नीतियाँ
- वेब आधारित संसाधन (ऐप्स, शब्दकोश, कॉर्पोरा, ...)
- डिजिटल उपकरण और प्रौद्योगिकी
- आभासी दुनिया में हिंदी – मिश्रित और ऑनलाइन शिक्षण के लिए प्रभावी तरीके।
- बहुभाषिकता और बहुभाषिता;
- भाषा और संस्कृति का शिक्षण;
- हिंदी भाषा की कक्षा में साहित्य का प्रयोग और उसका महत्व;
– हिंदी शिक्षण में आईसीटी सामग्री का उपयोग और कक्षा में इसका प्रभावी कार्यान्वयन।
प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वे अधिकतम 500 शब्दों का सारांश 30-09-2024, रात के 11 बजे तक इस लिंक के जरिए भेजें: https://tinyurl.com/4m9xs8vj
किसी भी तरह की जानकारी के लिए इस ईमेल पर लिखे - [email protected]
सम्मेलन की तिथियां 28 और 29 नवंबर 2024 हैं और यह नियमित रूप से Faculdade de Letras, Universidade de Lisboa (FLUL) (लिस्बन विश्वविद्यालय के कला-संकाय) में आयोजित किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए https://www.letras.ulisboa.pt/pt/ पर जाएँ।
कृपया गूगल फॉर्म भरकर पंजीकरण करवाएं। हमारी वैज्ञानिक समिति सार का मूल्यांकन करेगी। तदनुसार चयनित संबंधित प्रतिभागियों को दिनांक 15/09/24 तक ईमेल द्वारा सूचित किया जाएगा और उसके बाद आमंत्रण पत्र जारी किया जाएगा। चयनित प्रतिभागियों को अपना पूरा पेपर 10-11-2024 तक भेजना अनिवार्य होगा।
छात्रों के लिए पंजीकरण शुल्क 50 यूरो (प्रमाण सहित) है, लेकिन शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों के लिए 75 यूरो है। कृपया ध्यान दें कि सम्मेलन प्रतिभागियों को आवास की सुविधा प्रदान नहीं कर पाएगा और ये पूरी तरह से प्रतिभागियों की जिम्मेदारी होगी।

The Scientific Committee विशेषज्ञ समिति
1. António Eduardo Hawthorne Barrento – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal.
2. Bairam Khan - ICA Language and Culture consultant.
3. Ghanshyam Sharma – INALCO, Paris.
4. Hugo Cardoso - Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal.
5. K V Subbarao – University of Delhi (Retired).
6. Kusum Knapczyk – Duke University.
7. Ernestina Carrilho - Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal.
8. Mansi Bajaj - Yale University.
9. Premlata Pinki Vaishnav - ICA Language and Culture consultant.
10. Rajesh Bhatt - University of Massachusetts at Amherst, U.S.A.
11. Ram Prasad Bhatt - University of Hamburg, Germany.
12. Shiv Kumar Singh – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal.

The Organising committee आयोजन समिति
1. António Eduardo Hawthorne Barrento – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal
2. Shiv Kumar Singh – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal
3. Ernestina Carrilho – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal
4. Patrícia Costa - Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal

Conference coordinator सम्मेलन संयोजक
Shiv Kumar Singh – Faculty of Arts and Humanities, University of Lisbon, Portugal, [email protected]

Submission instructions:

Please create an account on EasyAbs to submit your abstract using the EasyAbs platform before 31st August 2024. Abstracts should be less than 500 words (excluding bibliography) and should include:

– Title;
– Clear indication of the topic;
– Methodology;
– Research results;
– References

We accept abstract submissions in Portuguese, Hindi, and English. Papers may be presented in any of the three languages, but we encourage English-language materials (handouts, visual aids,…) to be distributed for the benefit of all participants.

We expect confirmations of acceptance to be sent out by 15th September 2024.

Full texts of the accepted papers must be submitted by 31-10-2024.

For any queries, contact the organizers at: [email protected]
प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वे अधिकतम 500 शब्दों का सारांश 31-08- 2024, 23 बजे तक भेज दें।
किसी भी तरह की जानकारी के लिए इस ईमेल पर लिखे - [email protected]
सम्मेलन की तिथियां 28 और 29 नवंबर 2024 हैं और यह नियमित रूप से Faculdade de Letras, Universidade de Lisboa (FLUL) (लिस्बन विश्वविद्यालय के कला-संकाय) में आयोजित किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए https://www.letras.ulisboa.pt/pt/ पर जाएँ।
कृपया गूगल फॉर्म भरकर पंजीकरण करवाएं। हमारी वैज्ञानिक समिति सार का मूल्यांकन करेगी। तदनुसार चयनित संबंधित प्रतिभागियों को दिनांक 15/09/24 तक ईमेल द्वारा सूचित किया जाएगा और उसके बाद आमंत्रण पत्र जारी किया जाएगा। चयनित प्रतिभागियों को अपना पूरा पेपर 10-11-2024 तक भेजना अनिवार्य होगा।
छात्रों के लिए पंजीकरण शुल्क 50 यूरो (प्रमाण सहित) है, लेकिन शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों के लिए 75 यूरो है। कृपया ध्यान दें कि सम्मेलन प्रतिभागियों को आवास की सुविधा प्रदान नहीं कर पाएगा और यह पूरी तरह से प्रतिभागियों की जिम्मेदारी होगी।

Submissions open: July 5, 2024 - Sept. 30, 2024

Abstract review period: Sept. 7, 2024 - Oct. 15, 2024

Submit to this conference